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Wednesday, March 1, 2006

हमें शर्म बहुत आती है |

जब सामने वो आजाते हैं
हमारी साँस रुक जाती है |
उनकी एक निगाह हमपे पड़ती है
और हमारी आँखें झुक  जाती हैं |
कुछ दिल की बात कहना चाहते हैं
पर हमारी आवाज़ गुम हो जाती है |
वो कहते हैं हमसे कुछ बात
हमारी तो धड़कन  ही थम  जाती है |
उनको ना देखें तो हम बेचैन हैं
हमारी तबियत बिगड़ जाती है |
दिल का ऐसा हाल है
पर हमें शर्म बहुत आती है |
वो सुचते हैं हम मगरूर हैं
सच्छी में, हमें शर्म बहुत आती है |