नहीं यहाँ कोई आहट
ना किसी के होने का एहसास ;
ख़यालों का ये शोर है ...
इनही से है गुफ्तगूं ,
इनही से दिल मिलनसार है ।
कभी सोचती हूँ मान ही लूं
कि येही मेरे हमराज़ हैं ,
फिर सोचती हूँ
कि ये भी क्या बात है ।
ना किसी के होने का एहसास ;
ख़यालों का ये शोर है ...
इनही से है गुफ्तगूं ,
इनही से दिल मिलनसार है ।
कभी सोचती हूँ मान ही लूं
कि येही मेरे हमराज़ हैं ,
फिर सोचती हूँ
कि ये भी क्या बात है ।
10/08/2013