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Saturday, August 25, 2012

ये ख्वाब

गुम हो चुकी हूँ जो 
कि ख्वाब में पड़ी हूँ मैं
मुझे इस नींद से ना जगाओ 
कि अब संभलना मुश्किल है |

ये गहरी है तनहाई
इसका एक ही हमसफ़र है 
ये ख्वाब मुझ से हैं 
या मैं इन ख्वाबों से हूँ |

जाओ भी, ना सताओ 
बेरहमी से मुझे ना जगाओ 
इन ख्वाबों पे रौशनी डालो ना 
ये जलते चिराग बुझने लगें |

मुझे यूँ ही खो जाने दो 
इस आग में जल जाने दो 
कि इनका वजूद मुझसे है 
या मेरा वजूद इन से | 

26/08/2012

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