गुम हो चुकी हूँ जो
कि ख्वाब में पड़ी हूँ मैं
मुझे इस नींद से ना जगाओ
कि अब संभलना मुश्किल है |
ये गहरी है तनहाई
इसका एक ही हमसफ़र है
ये ख्वाब मुझ से हैं
या मैं इन ख्वाबों से हूँ |
जाओ भी, ना सताओ
बेरहमी से मुझे ना जगाओ
इन ख्वाबों पे रौशनी डालो ना
ये जलते चिराग बुझने लगें |
मुझे यूँ ही खो जाने दो
इस आग में जल जाने दो
कि इनका वजूद मुझसे है
या मेरा वजूद इन से |
26/08/2012
No comments:
Post a Comment